14.7.08

हिन्दी की वास्तविकता

आज के समय में हिन्दी की वास्तविकता समाप्त होती सी प्रतीत होती हैकम से कम महानगरों में तो यही हाल हैकिसी भी बड़ी दुकान या शापिंग मॉल में देखिये सभी माता पिता छोटे-छोटे बच्चों से अंग्रेजी में बात करते हुए आसानी से दिख जाते हैनन्हे बच्चे आपस में भी अंग्रेजी में ही बात करते हैकुछ बच्चों को तो में जानता हूँ जिन्हें हिन्दी भी नही आती, सिर्फ़ अंग्रेजी से काम चलता है जाने वोह अपने दादा-दादी से कैसे बात करते होंगे? यह तो एक पहलू हुआ हिन्दी की घटती आबादी का

दूसरा पहलू वो है जहाँ लोग हिन्दी बोलते तो है पर उच्चारण सही नही होता या वो लोग सही नही लिख पातेखासकर कुछ शब्द तो सहज होकर क्लिष्ट होते है जैसे क्षत्रिय इत्यादिजब यह गलती हिन्दी समाचार के समाचार वक्ता करें तो यह समस्या गंभीर लगती है

आज सुबह की ही बात है, NDTV की समाचार वक्ता "वयस्क" को "व्यसक" कहती हैये एक ऐसा समाचार चैनल है जहा अमित दुआ सरीखे लोग समाचार पड़ते है जिन्हें केवल सामाजिक ज्ञान है बल्कि उनका उच्चारण भी पूर्णतया साफ़ हैऐसे में इतने बड़े समाचार चैनल से ऐसी गलती होना अच्छी बात नही है, या शायद खतरे की निशानी भी है

अगर हिन्दी की इसी प्रकार दुर्दशा होती रही तो वो दिन ज्यादा दूर नही जब लोग हिन्दी बोलना पूर्णतया समाप्त कर देंगे। या फ़िर हिन्दी के नाम पे हिंगलिश का ही बोल बाला रहेगा।

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